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संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का चित्रकूट में शुभारंभ, 3 दिन तक होगा विचार विमर्श

    *संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का चित्रकूट में शुभारंभ, 3 दिन तक होगा विचार विमर्श*
     
    *एसडीजी वेबसाइट की लॉन्चिंग के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चित्रकूट में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का किया शुभारंभ*
     
    *सतत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास सराहनीय, किन्तु चुनौतियों का सामना आवश्यक – नरेंद्र सिंह तोमर*
     
    चित्रकूट 15 अप्रैल 2022/ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों पर चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित प्रथम त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शुक्रवार को दीनदयाल परिसर के विवेकानंद सभागार में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद सतना श्री गणेश सिंह, सांसद चित्रकूट-बांदा श्री आर के सिंह पटेल, नीति आयोग मध्य प्रदेश के उपाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सचिन चतुर्वेदी, राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के चेयरमैन श्री प्रियंक कानूनगो एवं दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन, सेमिनार के संयोजक श्री बसंत पंडित द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
     
    सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर ज्ञान का प्रसार सबके बीच में हो इस उद्देश्य के साथ एसडीजी गोल्स और सेमिनार संबंधित संपूर्ण जानकारी के लिए एसडीजी इंटरवेंशन डॉट ओआरजी नाम से वेबसाइट केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा क्लिक करके लॉन्च की गई।
     
    इस अवसर पर दक्षिण एशिया में एसडीजी का काम देख रहीं डॉ. नित्या केमकर लंदन से ऑनलाइन जुड़ी तथा छोटे धारकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एसडीजी को आगे बढ़ाने डॉ. काकोली घोष, एफओए रोम द्वारा किसान और उत्पादक के बारे में रोम से ऑनलाइन उद्बोधन हुआ तथा श्री एरिक सोलहेम पेरिस से व श्री शोम्बी शार्प रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर का भाषण आभासी माध्यम से हुआ।
     
    सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए सेमिनार के संयोजक श्री वसंत पंडित ने बताया कि 1968 में भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई) ने चित्रकूट में पानी की कमी, आदिवासी बहुल और दूरदराज के इलाकों में संघर्ष मुक्त और आत्मनिर्भर गांवों के लिए अपने दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया है।
     
    संस्थान की परियोजनाएं और उसके कार्य विशेष रूप से कृषि, जलवायु अनुकूल कृषि / वानिकी, आय सृजन और वित्तीय स्थिरता, जल और स्वच्छता, स्वास्थ्य और ज्ञान सह-निर्माण पर केंद्रित हैं और इन्हें बीड और गोंडा में सक्रिय रूप से दोहराया जा रहा है।
     
    दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन ने कहा कि सस्टेनेबल गोल के 17 बिंदु है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन को भारत रत्न नानाजी देशमुख ने चित्रकूट में साकार किया। सतत विकास के इन 17 लक्ष्यों के आगे भी कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें करना है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिपादित सतत विकास के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह सेमिनार निर्णायक होगा। सतत विकास के लक्ष्य भारत के ‘ स्व ‘ में बसा हुआ है। यह भारतीय जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से नाना जी ने ग्रामीण विकास के पांच लक्ष्य रखें जो भारत की जीवन शैली के अभिन्न अंग है। सतत विकास के लक्ष्य को संयुक्त राष्ट्र ने अडॉप्ट किया है। आज जिस वेबसाइट का उद्घाटन किया गया है वह एक ओपिनियन मेकर, डिसीजन मेकर के रूप में कार्य करेगी। 
     
    सतना सांसद श्री गणेश सिंह ने कहा कि सतत विकास को लेकर यह आयोजन चित्रकूट में हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 17 बिंदुओं को लेकर वर्ष 2015 से 2030 तक के लक्ष्य निर्धारित किए हैं। दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां सतत विकास से संबंधित विभिन्न चुनौतियां हैं। राष्ट्र ऋषि नानाजी ने 90 के दशक में चित्रकूट में कार्य शुरू किया। यह गरीबों का इलाका था यहां बड़ी चुनौतियां थी। नाना जी ने दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य, कृषि, चिकित्सा, साक्षरता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वाबलंबन के क्षेत्र में काम किया। विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से नाना जी का योगदान रहा। यूनाइटेड नेशन में जो बिंदु तय किए हैं नानाजी की संस्था उन्हीं के अंतर्गत कार्य कर रही है। आयुर्वेद, शिक्षा, उद्यमिता, गोपालन, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना आदि सभी निर्धारित लक्ष्यों को लेकर कार्य किया जा रहा है। नाना जी का ग्राम विकास का मॉडल देश ही नहीं विश्व के लिए उपयोगी है। सांसद श्री गणेश सिंह ने चित्रकूट क्षेत्र के 500 गांव में जो प्रयोग हुआ है ऐसे मॉडल को विश्व के विभिन्न देशों में सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति एवं समस्याओं के निराकरण के लिए उपयोगी एवं प्रभावी बताया। 
     
    मध्य प्रदेश राज्य नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के माध्यम से भारत के विकास का नया खाका तैयार होगा। वर्ष 2014 के पश्चात संयुक्त राष्ट्र ने यह प्रस्ताव रखा था जिस पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हस्ताक्षर किए थे। विकास के सतत लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय विकास को बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2015 से नवीन लक्ष्य एसडीजी -17 (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) पर आधारित है। वर्ष 2000 से 2015 तक एमडीजी – 8 (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स ) पर आधारित था।  एसडीजी -17 और एमडीजी – 8 दोनों एक दूसरे से भिन्न है। दोनों गोल्स में तीन मूल अंतर विस्तृत बताते हुए कहा कि वर्तमान लक्ष्य एसडीजी -17 में क्वांटिटी की जगह क्वालिटी पर कार्य किया जा रहा है। देश में 2014 से विशेष रूप से उद्यमिता विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान देश डटकर मुकाबला कर सका इसके पीछे वर्ष 2014 से ही कार्य शुरू हो चुका था। क्रॉस डोमेन कनेक्टिविटी पर आधारित कार्य हो रहे हैं। जिसमें सभी संस्थाएं आपस में मिलकर सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य कर सकें। भारत की सनातन सोच है सब एक दूसरे से प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए। यूक्रेन में दवाई, श्रीलंका में ईंधन आपूर्ति, अफ्रीकी देशों में वैक्सीन कार्यक्रम अनेकों अनेक ऐसे उदाहरण हैं जो भारत के अंतरराष्ट्रीय पहल को दर्शाती है जिसमें वसुधैव कुटुंबकम का भाव है।‌ मनुष्य और पर्यावरण अलग अलग नहीं है यह भारत की सनातनी संस्कृति है। पश्चिमी देशों के विकास ने प्रकृति का दोहन किया। पिछले 7 वर्षों में सतत विकास लक्ष्य को लेकर विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का शुभारंभ हुआ है, जिसमें आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, जन धन योजना, कृषि एवं पर्यावरण पर आधारित योजनाएं, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार एवं उद्यमशीलता आधारित अनेक केंद्रीय योजनाओं के सफल संचालन से देश भर के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचा है। नानाजी का यह केंद्र अनूठा है। यहां कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से प्रभावी कार्य हो रहे हैं जो समाज में बदलाव ला रहे हैं।
     
    अपने मुख्य आतिथ्य उद्बोधन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट में आना हम सभी को अच्छा लगता है क्योंकि यहां की धरा की पावनता ही ऐसी है यह श्रद्धा का केंद्र है। चित्रकूट में नाना जी ने दीनदयाल शोध संस्थान केंद्र स्थापित किया। दीनदयाल शोध संस्थान, राज्य सरकार, केंद्र सरकार एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं इस सम्मेलन के आयोजन में सहभागी हैं। इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जाए इस पर विमर्श होगा। आज श्रद्धेय नानाजी भले ही हमारे बीच नहीं है परंतु उनके मन की संवेदनाएं, उनके ग्राम विकास कार्यों के लक्ष्य एवं उन चुनौतियों का सामना करने की दृढ़ता सब हमारे समक्ष है। यह क्षेत्र दुर्गम भी है और दूरस्थ भी है और इसमें सतत विकास के लक्ष्यों के लिए कार्य भी है। चित्रकूट क्षेत्र में राज्य सरकार, दीनदयाल शोध संस्थान एवं अन्य संस्थाएं यहां की समस्याओं के निराकरण के लिए काम कर रही हैं। देश की आजादी को 75 वर्ष होने को है फिर भी देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। नाना जी का कथन था ” मैं अपने लिए नहीं अपनों के लिए हूं अपने वह हैं जो पीड़ित और उपेक्षित हैं ” ।  चित्रकूट और गोंडा का प्रकल्प नाना जी की दूरदृष्टि का परिणाम है। नाना जी का संकल्प आज जो गांव में परिलक्षित होता दिखाई देता है उसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन का समग्र चिंतन निहित है। पंडित दीनदयाल जी ने अंत्योदय की बात कही थी। 
     
    केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि यदि हमारी परंपराएं टूटेगी तो उसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा। भारत ने दुनिया को अनेक विधाएं दी है , अंकगणित , जीरो आदि इसके उदाहरण हैं। हमारे पास सब कुछ था तभी भारत में लुटेरे आए। कहीं ना कहीं कुछ कमी थी जो सतत विकास के लक्ष्य आज आजादी के अमृत महोत्सव 75 में पूरे नहीं हो सके। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और कई राज्य सरकारें सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रभावी कार्य कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास के जितने निर्धारित लक्ष्य हैं हमारी केंद्र सरकार की विभिन्न केंद्रीय योजनाएं उन समस्त लक्ष्यों को प्रतिनिधित्व करती हैं। 
     
    श्री तोमर ने कहा कि मनरेगा योजना, महिला सशक्तिकरण के लिए आजीविका की दृष्टि से 70 लाख स्वयं सहायता समूह से 8 करोड महिलाएं जुड़ी जिन्हें अब तक 5 लाख करोड रुपए का लोन दिया जा चुका है। उन्होंने ऐसी अनेक केंद्रीय योजनाओं की जानकारी देकर सतत विकास के लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में किए जाए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया।
     
    उद्घाटन सत्र का संचालन दीनदयाल शोध संस्थान के महाप्रबंधक श्री अमिताभ वशिष्ठ द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र के अंत में संगठन सचिव श्री अभय महाजन द्वारा मंचासीन सभी अतिथियों एवं देश के विभिन्न राज्यों एवं अन्य देशों से जुड़े हुए सभी प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया।